कुछ भी लिखता
नाम अपना
बनाता पहाड़
नाम अपना
बनाता पहाड़
डूबता सूरज
बहती नदी
बहती नदी
लाली सांझ की
घोसलों से आती
घोसलों से आती
चुनमुन आवाज
या खेलता खेल
या खेलता खेल
कट्टमकुट्टी का
फिर एक बार
अपने ही खिलाफ
बहुत साल बाद
फिर एक बार
अपने ही खिलाफ
बहुत साल बाद
खाली सफा था
कुछ भी लिखता
कुछ भी लिखता
कुछ भी करता
बना लेता नाव
बना लेता नाव
उड़ाता जहाज
दौड़ पड़ता लेकर घिरनी
सामने से आती
दौड़ पड़ता लेकर घिरनी
सामने से आती
हर हवा के खिलाफ
पर नहीं
पर नहीं
मन की तिल्ली तो
बनना चाहती थी आग
रगड़ के बाद
बनना चाहती थी आग
रगड़ के बाद
चौंध के साथ उड़ता
सबसे तेज धुंआ
पसीने से तर-बतर
सबसे तेज धुंआ
पसीने से तर-बतर
सबसे गरम आवाज
KYA ATMKTHAN HA?
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