एक ही है
नजदीकी आगाज जैसा
फासला अंजाम जैसा
हालात दोनों एक ही है
खुमारी में बतकही
खामोशी पर अफसोस
जज्बात दोनों एक ही है
इधर अबोला सा कुछ
उधर अनसुना सा बहुत
आवाज दोनों एक ही है
लिखना मेरा आखर आखर
पढ़ना तेरा नयन भरकर
किताब दोनों एक ही है
मेरे चश्मे में नमी जैसी
तेरे चश्मे में कमी जैसी
आकार दोनों एक ही है
© प्रेम प्रकाश
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