Saturday, October 8, 2011

स्पर्शसुख का जैकपॉट


पहला शब्द पुरुष
फिर चुनिंदा फूल
और भीना-भीना प्यार
गोदने की तरह
चमड़ी में उतरे हैं शब्द कई
नीले-नीले हरे कत्थई
नंगी पीठ पर उसकी
थोड़ा ऊपर
बस वहीं
एकदम पास
उत्तेजना की चरमस्थली
स्पर्शसुख का जैकपॉट

सच
शादी की रजत वर्षगांठ पर
वह सिर्फ पति नहीं
उस कला संग्रहालय का
मालिक भी है
जहां के हर बुत में 
उतनी ही जान है
जितनी हथेली और
नाखूनों को चाहिए

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