रुठे पांव दबाता गांव
पाहुन गीत सुनाता गांव
बीत चुका है रीता गांव
घुटता-पिसता रिसता गांव
चढ़ते-चढ़ते गिरता गांव
खड़े समय में झुकता गांव
तेज समय पर रुकता गांव
सपना टूटा टूटा गांव
हड्डी टूटी टूटा पांव
सब टूटे तो टूटा गांव
सब आगे बस छूटा गांव
कोलतार बीच कच्चा गांव
सबसे बूढ़ा बच्चा गांव
झूठ बोलता सच्चा गांव
अगुआ हो गया अच्छा गांव
पंचों का पेचीदा गांव
उलझन में संजीदा गांव
खाली गोरखधंधा गांव
नोच रहे सब अंधा गांव
अच्छा नहीं भूल जाना गांव
अच्छा नहीं याद आना गांव
अच्छा नहीं अब अच्छा गांव
अच्छा... फिर मिलते हैं...
अच्छा...अच्छा गांव
सब मिलाकर आज भी सबसे अच्छा गांव।
ReplyDeleteधन्य-धन्य यह मंच है, धन्य टिप्पणीकार |
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति आप की, चर्चा में इस बार |
सोमवार चर्चा-मंच
http://charchamanch.blogspot.com/
गाँव पर बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteसब आगे बस छूटा गाँव....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.....
सादर...
सच्चाई का सामना करने का प्रयत्न शायद गांव की रौनक लौटाने में सफल हो सके.
ReplyDeleteसुंदर भाव से लिखी हुई सुंदर प्रस्तुति.
सुन्दर रचना ..
ReplyDeleteखूबसूरत ब्लाग
सब आगे बस छूटा गांव.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....