मैं अपने घर में दोपहर की सबसे खड़ी सूई के साथ
बैठा हूं खाली कि कुछ सूझता है
कविता की टोपी पहन होता हूं अंतर्ध्यान
फिर क्या आंखें मनाने लगती हैं जीवंत मृत्यु का उत्सव
और जिह्वा बगैर मुंह खोले करने लगती है
साहित्यिक व्यभिचार
बैठा हूं खाली कि कुछ सूझता है
कविता की टोपी पहन होता हूं अंतर्ध्यान
फिर क्या आंखें मनाने लगती हैं जीवंत मृत्यु का उत्सव
और जिह्वा बगैर मुंह खोले करने लगती है
साहित्यिक व्यभिचार
तभी गिरते हैं कुछ परदे करीने से
मानस प्रेक्षागृह में पधारे दस प्रबुद्ध दर्शकों के बीच
पहला रंग है सफेद
दूसरे में यही सफेदी पीले बार्डर के साथ
तीसरा-चौथा-पांचवा नये रंग हैं
छठा रंग है नायपॉल की टाई का
सातवां जिसमें जिंदगी का कुंवारापन दिखता है सजिल्द
आठवां पिछली कार्यशाला में झमाझम बाबू के व्याख्यान का
नौवां रंग हिंदी पत्रिकाओं की धूसरता से करता है मैच
नये परदों का रंग अभी पहचानें और
इस पहले ही स्खलित हो जाता है वह
जिसकी गरमी इस नाट¬ विधा में एकाग्रता का काम करती है
जिसका स्खलन नये सृजन को अंजाम देता है
जिसकी गरमी इस नाट¬ विधा में एकाग्रता का काम करती है
जिसका स्खलन नये सृजन को अंजाम देता है
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