Saturday, January 4, 2020

एक ही है





एक ही है

नजदीकी आगाज जैसा
फासला अंजाम जैसा
   हालात दोनों एक ही है

खुमारी में बतकही
खामोशी पर अफसोस
   जज्बात दोनों एक ही है

इधर अबोला सा कुछ
उधर अनसुना सा बहुत
   आवाज दोनों एक ही है

लिखना मेरा आखर आखर
पढ़ना तेरा नयन भरकर
   किताब दोनों एक ही है

मेरे चश्मे में नमी जैसी
तेरे चश्मे में कमी जैसी
   आकार दोनों एक ही है

© प्रेम प्रकाश